उत्प्रेक्षा अलंकार - Utpreksha Alankar
उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण - Utpreksha Alankar Ke Udaharan
शब्दों की सुंदरता और भावना को समझाने में हिंदी भाषा के अलंकारों का खास महत्व है। इनमें से एक अलंकार है “उत्प्रेक्षा अलंकार” जो वाक्यों को और प्रभावशाली बनाता है। यह अलंकार हिंदी साहित्य के शृंगार भाव को अधिकतर बढ़ावा देने में प्रयोग किया जाता है। इस उत्प्रेक्षा अलंकार (Utpreksha Alankar) – उत्प्रेक्षा अलंकार के 10 उदाहरण ब्लॉग में, हम उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा और उसके उदाहरणों के बारे में बात करेंगे।
उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा
जब उपमेय में उपमान की बलपूर्वक संभावना व्यक्त की जाती है, तब वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। यहाँ संभावना अभिव्यक्ति हेतु जनु, जानो, मनु, मानो, निश्चय, प्रायः, बहुधा, इव, खलु आदि शब्द प्रयुक्त किए जाते हैं। उत्प्रेक्षा अलंकार वह अलंकार होता है जिसमें एक वस्तु के साथ दूसरी वस्तु की तुलना करके उसका महत्व प्रदर्शित किया जाता है। इसमें किसी वाक्य के अंत में कोई शब्द रखा जाता है जो उस वाक्य का मुख्य विषय नहीं होता है, लेकिन उसके महत्व को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है। इसलिए इसे “उत्प्रेक्षा” अलंकार कहते हैं, क्योंकि यह वाक्य के मुख्य अर्थ को उत्पन्न करने में सहायक होता है। उत्प्रेक्षा अलंकार शब्दालंकार का एक उपप्रकार है।
उत्प्रेक्षा अलंकार के भेद
वस्तूत्प्रेक्षा अलंकार
जहाँ एक वस्तु में दूसरी वस्तु की सम्भावना की जाए वहाँ वस्तुप्रेक्षा अलंकार होता है। अथार्त जहाँ प्रस्तुत वस्तु में किसी अन्य अप्रस्तुत वस्तु की सम्भावना देखी जाती है, वहाँ वस्तुप्रेक्षा अलंकार होता है।
हेतूत्प्रेक्षा अलंकार
जहाँ अहेतु में हेतु की सम्भावना देखी जाती है। अथार्त वास्तविक हेतु को छोडकर अन्य हेतु को वास्तविक मान लिया जाए वहाँ हेतुप्रेक्षा अलंकार होता है।
फलोत्प्रेक्षा अलंकार
जहां अवास्तविक फल को वास्तविक फल मान लिया जाए, वहाँ पर फलोत्प्रेक्षा अलंकार होता है। अथार्त इसमें वास्तविक फल के न होने पर भी उसी को फल मान लिया जाता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण
“जैसे कोयल सिखर बिन” – इस भाग में, कोयल की स्थानस्थिति को दर्शाया गया है। यहां कोयल के संगीत की अनुपस्थिति को व्यक्त किया गया है। “नहीं सुने सारस वाणी” – इस भाग में, सारस के संगीत की महत्ता और महानता को दिखाया गया है, जो कोयल की अभाव में सुना जा सकता है। वाक्य में कोयल और सारस के बीच तुलना करके, दो वस्तुओं के संगीत की महत्ता और अहमियत को दिखाया गया है। यहां एक वस्तु की अनुपस्थिति और उसके अस्तित्व की तुलना के माध्यम से दूसरी वस्तु की महानता को समझाने का प्रयास किया गया है।