Apathit Gadyansh In Hindi
सभी विद्यार्थियों के लिए भाषा का महत्व होता है। विद्यार्थी स्कूल और कॉलेजों में अपनी भाषा का सही उपयोग सीखते हैं और इसका एक महत्वपूर्ण भाग अपठित गद्यांश(Apathit Gadyansh) और पद्यांश है। अपठित गद्यांश स्कूल कक्षा 2, कक्षा 3, कक्षा 4, कक्षा 5, कक्षा 6, कक्षा 7, कक्षा 8, कक्षा 9, कक्षा 10, कक्षा 11, कक्षा 12 में पूछा जाता है। इससे विद्यार्थियों की भाषा क्षमता विकसित होती है और उनकी पढ़ाई में सुधार होता है। Unseen Passage In Hindi (Apathit Gadyansh In Hindi)
अपठित गद्यांश की परिभाषा
अपठित गद्यांश वह होता है जिसे विद्यार्थियों को दिए जाने वाले पाठ में से नहीं पढ़ाया गया हो। हमें दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़कर उससे संबंधित प्रश्नों के उत्तर स्वयं की भाषा में संक्षेप्त रूप में प्रस्तुत करना होता है। इससे छात्रों की व्याकरण, पाठ ज्ञान और भाषा का सही उपयोग जांचा जाता है। इसके उत्तर देने से छात्रों की भाषा क्षमता में सुधार होता है और उनके विचारों को स्पष्ट ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता विकसित होती है।
अपठित गद्यांश और पद्यांश के प्रश्नों का सही उत्तर कैसे दें
अपठित गद्यांश और पद्यांश के प्रश्नों का सही उत्तर देने के लिए छात्रों को पहले ध्यान से पढ़ना होता है। इसे एक या दो बार ध्यान से पढ़ना चाहिए। योग्य बिंदुओं पर उन्हें विशेष ध्यान देना चाहिए और विशेष स्थानों को रेखांकित करना चाहिए। प्रश्नों की समझ में आने पर उसके उत्तर लिखना चाहिए।
अपठित गद्यांश उदाहरण
सिद्वृत्ति, उत्तम स्वभाव, सद्व्यवहार, आचरण, हृदय की कोमलता आदि गुणों से युक्त व्यक्ति को ही हम शीलवान कह सकते हैं। ये ही सद्गुण जीवन के लिए परम आवश्यक है। मानव को मानव बनाने वाली यही पूर्णता पालि में ‘पारमिता’ के नाम से जानी जाती है। मनुष्य में शील का होना आवश्यक ही नहीं, वरन इसकी पूर्णता भी आवश्यक है।
शीलयुक्त व्यवहार मनुष्य की प्रकृति और व्यक्तित्व को उद्घाटित करता है। उत्तम, प्रशंसनीय और पवित्र आचरण ही शील है। शीलयुक्त व्यवहार प्रत्येक व्यक्ति के लिए हितकर है। इससे मनुष्य की ख्याति बढ़ती है। शीलवान व्यक्ति सबका हृदय जीत लेता है। शीलयुक्त व्यवहार से कटुता दूर भागती है। इससे आशंका और संदेह की स्थितियाँ कभी उत्पन्न नहीं होती। इससे ऐसे सुखद वातावरण का सृजन होता है, जिसमें सभी प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। शीलवान व्यक्ति अपने संपर्क में आने वाले सभी लोगों को सुप्रभावित करता है। शील इतना प्रभुत्वपूर्ण होता है कि किसी कार्य के बिगड़ने की नौबत नहीं आती।
अधिकारी-अधीनस्थ, शिक्षक-शिक्षार्थी, छोटों-बड़ों आदि सभी के लिए शीलयुक्त व्यवहार समान रूप से आवश्यक है। शिक्षार्थी में यदि शील का अभाव है तो वह अपने शिक्षक से वांछित शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकता। शीलवान अधिकारी या कर्मचारी में आत्मविश्वास की वृद्धि स्वतः ही होने लगती है और साथ ही उनके व्यक्तित्व में शालीनता आ जाती है। इस अमूल्य गुण की उपस्थिति में अधिकारी वर्ग और अधीनस्थ कर्मचारियों के बीच, शिक्षकगण और विद्यार्थियों के बीच तथा शासक और शासित के बीच मधुर एवं प्रगाढ़ संबंध स्थापित होते हैं और प्रत्येक वर्ग की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है। इस गुण के माध्यम से छोटे-से-छोटा व्यक्ति बड़ों की सहानुभूति अर्जित कर लेता है।
प्रश्न 1. कैसे व्यक्ति को हम शीलवान कह सकते हैं?
उत्तर : जो व्यक्ति सद्वृत्ति, उत्तम स्वभाव, सद्व्यवहार, आचरण, हृदय में कोमलता आदि गुणों से युक्त हो उसे शीलवान कह सकते हैं।
प्रश्न 2. शीलयुक्त व्यवहार से मनुष्य को क्या लाभ होते हैं?
उत्तर : शीलयुक्त व्यवहार से मनुष्य की ख्याति बढ़ती है। वह लोगों का हृदय जीत लेता है तथा आशंका व संदेह की स्थितियाँ खत्म होती हैं । इस से सुखद वातावरण का सृजन होता है।
प्रश्न 3. शिक्षार्थी में यदि शील का अभाव है तो उसे क्या हानि होगी?
उत्तर : शिक्षार्थी में यदि शील का अभाव है तो वह अपने शिक्षक से वांछित शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकता।
प्रश्न 4. शालीन व्यवहार से समाज में क्या परिवर्तन देखे जा सकते हैं?
उत्तर : इस अमूल्य गुण की उपस्थिति में अधिकारी वर्ग और अधीनस्थ कर्मचारियों के बीच, शिक्षकगण और विद्यार्थियों के बीच तथा शासक और शासित के बीच मधुर एवं प्रगाढ़ संबंध स्थापित होते हैं और प्रत्येक वर्ग की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है।
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Apathit Gadyansh For Class 5 With Answers
निष्कर्ष
अपठित गद्यांश और पद्यांश का सफल उत्तर देने से छात्रों की भाषा क्षमता और समझ में सुधार होता है। इससे उनकी पढ़ाई में स्वयं की भाषा में सुधार होता है और उन्हें प्रतियोगिता परीक्षाओं में भी लाभ मिलता है। इसलिए, अपठित गद्यांश और पद्यांश का महत्व शिक्षा के क्षेत्र में अपना ही है और इसका समय समय पर अभ्यास करना बहुत महत्वपूर्ण है।