Anupras Alankar
अनुप्रास अलंकार | अनुप्रास अलंकार के 10 उदाहरण | Anupras Alankar

अनुप्रास अलंकार - Anupras Alankar
अनुप्रास अलंकार के 10 उदाहरण - Anupras Alankar Ke Udaharan

अनुप्रास अलंकार हिंदी भाषा के साहित्यिक अलंकारों में से एक है, जिसका प्रयोग वर्णों या शब्दों के आवृत्ति द्वारा अर्थपूर्वक और सौंदर्यपूर्वक उच्चारण के लिए किया जाता है। इस अलंकार में एक ही वर्ण या शब्द को दो या दो से अधिक बार बोलकर एक स्वर अथवा आवृत्ति का उत्पन्न होता है। यह भाषा में रस, अलंकार और छंद को और भी सुंदर बनाता है। इस अनुप्रास अलंकार और अनुप्रास अलंकार के 10 उदाहरण (Anupras Alankar) ब्लॉग में, हम अनुप्रास अलंकार को हिंदी में जानेंगे।
 

अनुप्रास अलंकार की परिभाषा

अनुप्रास अलंकार हिंदी भाषा के साहित्यिक अलंकारों में से एक है, जिसमें एक ही वर्ण या शब्द को दो या दो से अधिक बार बोलकर एक स्वर या ध्वनि का उत्पन्न होता है। इसमें किसी वाक्यांश में दो या अधिक शब्दों में समान व्यंजन ध्वनि का पुनरावृत्ति होती है।

 
 

अनुप्रास अलंकार के उदाहरण 

 
1. चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थीं जल-थल में।
 
इस पंक्ति में, शब्दों में जैसे चारु, चन्द्र, चंचल और चंचल के “च” ध्वनि के अभ्यास से अनुप्रास अलंकार का उदाहरण बनता है। “च” की दोहरी ध्वनि गीतिमयता और ताल को वाक्य में जोड़ती है, जो चारु चंद्र की चंचल किरणों को जल-थल में खेलते हुए वर्णन करता है।
 
 
2. भूषण बिनु न बिराजई, कविता, वनिता मित्त।
 
यहां “ब” और  “त” ध्वनि का दोहराव होता है जो की अनुप्रास अलंकार के उदाहरण के रूप में काम आया है। अलंकार से पंक्ति में ध्वनियों का सुंदर संगम हो जाता है जिससे वाक्य का सौंदर्य बढ़ जाता है।
 
 
3. तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
 
इस पंक्ति में ‘त’ ध्वनि से शुरू होने वाले शब्दों का अनुप्रास होता है, जो कि एक ही व्यंजन से शुरू होते हैं और वे बहुत समान ध्वनियों को लेकर सम्बंधित हैं। यहां, “तरनि”, “तनूजा”, “तट”, “तमाल” और “तरुवर” शब्दों में ‘त’ ध्वनि का अनुप्रास होता है।
 
 
4. मुदित महीपति मंदिर आए, सेवक सचिव सुमंत बुलाए।
 
इस में भी अनुप्रास अलंकार है। “म” ध्वनि की आवृत्ति द्वारा वर्णित किया गया है कि मुदित महीपति मंदिर में आए हुए हैं और सेवक सचिव सुमंत को बुलाए हुए हैं।
 
 
5. कंकन किंकिन नूपुर धुनि सुनि, कहत लखन सन राम हृदय गुनि।
 
इस पंक्ति में ‘क’ ध्वनि से शुरू होने वाले शब्दों का अनुप्रास होता है, जो एक ही व्यंजन से शुरू होते हैं और वे बहुत समान ध्वनियों को लेकर सम्बंधित हैं। यहां, “कंकन”, “किंकिन” शब्दों में ‘क’ ध्वनि का अनुप्रास होता है।
 
 
6. सुरभित सुंदर सुखद सुमन तुम पर खिलते हैं।
 
“सु” ध्वनि की आवृत्ति द्वारा वर्णित किया गया है कि सुरभित, सुंदर, सुखद, सुमन तुम पर खिलते हैं।
 
 
7. प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि।
 
कटक, कटीले, काटि, काटि जैसे शब्दों में “क” ध्वनि का आवृत्ति होता है, जो इस दोहे को सुंदर और संगीतमय बनाता है।
 
 
8. जदपि सुजाति सुलच्छनी, सुबरन, सरस, सुवृत्त।
 
इस श्लोक में ‘स’ ध्वनि से शुरू होने वाले शब्दों का अनुप्रास अलंकार है और इसका अर्थ है, “जो कि उच्च जाति, सुन्दर, प्रसन्न और समृद्ध होता है। यहां, “सुजाति”, “सुलच्छनी”, “सुबरन”, “सरस”, “सुवृत्त” शब्दों में ‘स’ ध्वनि का अनुप्रास होता है।
 
 
9. बंदऊं गुरु पद पदुम परागा, सुरुचि सुबास सरस अनुरागा।
 
इस में “प” और “स” ध्वनि का आवृत्ति होती है, जिससे संगीतमय और आकर्षक ध्वनियों का संयोजन होता है।
 
 
10. सेस गनेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
 
इस में “स” ध्वनि की आवृत्ति होती है, जिससे सुंदर और संगीतमय ध्वनियों का संयोजन होता है। इस दोहे में सेस, गनेस, महेस, दिनेस, सुरेसहु जैसे शब्दों का उपयोग हुआ है

 

अनुप्रास के भेद

अनुप्रास अलंकार के पांच प्रकार हैं

1. छेकानुप्रास अलंकार
2. वृत्यानुप्रास अलंकार
3. अन्त्यानुप्रास अलंकार
4. श्रुत्यानुप्रास अलंकार
5. लाटानुप्रास अलंकार

 

1. छेकानुप्रास अलंकार

जहाँ एक या अनेक वर्णों की एक ही क्रम में एक बार आवृत्ति हो वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है।

उदाहरण

बंदऊ गुरु पुद् पदुम परागा। सुरुचि सुवास सरस अनुरागा।

 

2. वृत्यानुप्रास अलंकार

जब एक व्यंजन की आवर्ती अनेक बार हो वहाँ वृत्यानुप्रास अलंकार कहते हैं।

उदाहरण

रनि नूजा माल रुवर बहु छाए।

 

3. अन्त्यानुप्रास अलंकार

जहाँ पंक्ति के अंतिम वर्ण में समान स्वर या मात्राओं की आवृत्ति में तुक मिलती हो वहाँ पर अन्त्यानुप्रास अलंकार होता है।

उदाहरण

रघुकुल रीत सदा चली आई। प्राण जाय पर वचन न जाई


4. श्रुत्यानुप्रास अलंकार:

जहाँ एक ही उच्चारण स्थान से बोले जाने वाले वर्णों की आवृत्ति होती है, उसे श्रुत्यानुप्रास अलंकार कहते है।

उदाहरण

तुसीदास सीदति निस दिन दे तुम्हार निठुराई।


5. लाटानुप्रास अलंकार

जहाँ शब्द की आवर्ती हो तथा प्रत्येक जगह पर अर्थ भी वही पर अन्वय करने पर भिन्नता आ जाये वहाँ लाटानुप्रास अलंकार होता है।

उदाहरण

पूत सपूत तो का धन संचयपूत कपूत तो का धन संचय

 

निष्कर्ष

इस अनुप्रास अलंकार और अनुप्रास अलंकार के 10 उदाहरण (Anupras Alankar) ब्लॉग में का अध्ययन किया।अनुप्रास अलंकार हिंदी साहित्य में एक रोमांचक अलंकार है, जो भाषा को सुंदर और आकर्षक बनाता है। इसका उपयोग शब्दों और वाक्यों को संवादपूर्ण बनाने के लिए किया जाता है। अनुप्रास अलंकार के विभिन्न उदाहरणों में वर्णों और शब्दों की आवृत्ति से अर्थ और सौंदर्य को बढ़ावा मिलता है। इसलिए, इस अलंकार को समझना और इसका उपयोग करना हिंदी भाषा के लेखन में एक महत्वपूर्ण कला है।

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अपठित गद्यांश और उदाहरण

FAQs

 

अनुप्रास अलंकार की पहचान क्या है?

जहाँ एक या अनेक वर्णो की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार हो वहा अनुप्रास अलंकार होता है।
 
 

अनुप्रास अलंकार कितने प्रकार का होता है?

अनुप्रास अलंकार दो प्रकार का होता है। स्वर अनुप्रास अलंकार और  व्यंजन अनुप्रास अलंकार । 
 
 

रघुपति राघव राजा राम में कौन सा अलंकार है? 

रघुपति राघव राजा राम में अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है। इसमें र ध्वनि का आवृत्ति होता है।

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