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विशेषण - परिभाषा, भेद और उदाहरण Visheshan Kise Kahate Hain
हिंदी व्याकरण में विशेषण (Visheshan) का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। विशेषण किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे – विशेषण की परिभाषा, इसके भेद और उदाहरण।
विशेषण की परिभाषा
विशेषण वह शब्द है जो किसी संज्ञा (Noun) या (Pronoun) सर्वनाम की विशेषता बताता है — जैसे उसका रंग, रूप, गुण, दोष, संख्या या परिमाण।
उदाहरण:
- सुंदर फूल (फूल कैसा है? – सुंदर)
- ईमानदार व्यक्ति (व्यक्ति कैसा है? – ईमानदार)
विशेषण के भेद – Types of Adjective in Hindi
- गुणवाचक विशेषण
- संख्यावाचक विशेषण
- परिमाणवाचक विशेषण
- सार्वनामिक विशेषण
गुणवाचक विशेषण (Qualitative Adjective)
यह विशेषण किसी व्यक्ति或वस्तु के गुण, दोष, रंग, आकार, दशा, स्थिति आदि को बताता है। यह “कैसा?” प्रश्न का उत्तर देता है।
गुणवाचक विशेषण के प्रकार एवं उदाहरण:
- समय/काल : प्राचीन, आधुनिक, दैनिक, साप्ताहिक, वार्षिक, रात्रिकालीन।
- गुण/स्वभाव : दयालु, बुद्धिमान, ईमानदार, मेहनती, स्नेही, समझदार।
- दोष : आलसी, अहंकारी, क्रोधी, लालची, धोखेबाज, कायर।
- रंग : काला, सफेद, नीला, गुलाबी, भूरा, केसरी।
- आकार/संरचना : गोल, चौकोर, लंबा, पतला, मोटा, टेढ़ा-मेढ़ा।
- स्वाद/गंध : मीठा, खट्टा, कड़वा, सुगंधित, तीखा, बासी।
- स्थान/क्षेत्र : भारतीय, जापानी, पूर्वी, पहाड़ी, शहरी, ग्रामीण।
- समय/काल : प्राचीन, आधुनिक, दैनिक, साप्ताहिक, वार्षिक, रात्रिकालीन।
- स्पर्श/अनुभव : कोमल, ठंडा, गर्म, नर्म।
- ध्वनि : मधुर, कर्कश, ऊँचा, मंद, सुरीला।
गुणवाचक विशेषण के वाक्यों में प्रयोग:
- बुद्धिमान छात्र सदैव सफल रहता है। (गुण/स्वभाव)
- ईमानदार लोगों को सभी पसंद करते हैं। (गुण/स्वभाव)
- उसने नीली साड़ी पहनी थी। (रंग)
- यह गोल मेज नई खरीदी गई है। (आकार/संरचना)
- भारतीय संस्कृति विविधतापूर्ण है। (आकार/संरचना)
- प्राचीन समय में गुरुकुल प्रथा थी। (समय/काल)
- आम का रस मीठा होता है। (स्वाद/गंध)
- यह कपड़ा बहुत कोमल है। (स्पर्श/अनुभव)
- उसकी आवाज़ मधुर है। (ध्वनि)
संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)
यह विशेषण संज्ञा की संख्या का बोध कराता है। यह “कितने?” प्रश्न का उत्तर देता है।
इसके दो उपभेद होते हैं:
- निश्चित संख्यावाचक: एक, दो, सौ, प्रथम, द्वितीय।
- अनिश्चित संख्यावाचक: कुछ, कई, थोड़े, बहुत से, कम।
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के प्रकार एवं उदाहरण:
- गणनावाचक : एक, दो, दस, पचास, सौ।
- क्रमवाचक : पहला, दूसरा, तीसरा, अगला, अंतिम।
- आवृत्तिवाचक : दोगुना, तीन गुना, चौगुना, आधा, दोहरा।
- समूहवाचक : दोनों, चारों, सब, समस्त, पूरे।
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के वाक्यों में प्रयोग:
- तीन छात्रों ने प्रश्न हल किया। (गणनावाचक)
- उसने पाँच किताबें खरीदीं। (गणनावाचक)
- वह तीसरी मंजिल पर रहता है। (क्रमवाचक)
- प्रथम विद्यार्थी को पुरस्कार मिला। (क्रमवाचक)
- दाम दोगुने हो गए हैं। (आवृत्तिवाचक)
- उसने तिगुना लाभ कमाया। (आवृत्तिवाचक)
- दोनों मित्र आए थे। (समूहवाचक)
- सभी बच्चों ने मिठाई खाई। (समूहवाचक)
- उसके पास पाँच गाड़ियाँ हैं। (गणनावाचक)
- यह मेरा प्रथम दिन है। (क्रमवाचक)
- इससे दुगना फल मिलेगा। (आवृत्तिवाचक)
- सभी लोग खुश थे। (समूहवाचक)
अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण के वाक्यों में प्रयोग:
- उसने कुछ फल खरीदे।
- मेले में बहुत भीड़ थी।
- उसके पास पर्याप्त समय है।
- अधिकांश लोग सहमत थे।
- बारिश में कम लोग निकले।
- बाजार में कई दुकानें बंद थीं।
परिमाणवाचक विशेषण (Quantitative Adjective)
यह विशेषण किसी वस्तु के मात्रा या परिमाण को बताता है। यह “कितना?” प्रश्न का उत्तर देता है।
ये दो प्रकार के होते हैं:
- निश्चित परिमाणवाचक : जो सटीक माप या तोल बताते हैं।
- अनिश्चित परिमाणवाचक : जो अनुमानित मात्रा या परिमाण दर्शाते हैं।
निश्चित परिमाणवाचक विशेषण के वाक्यों में प्रयोग:
- उसने दो किलोग्राम सेब खरीदे।
- मुझे तीन मीटर कपड़ा चाहिए।
- पानी का एक लीटर जग भरो।
- अनाज की पाँच बोरियाँ आईं।
- सोने का एक तोला गहना बनवाया।
- उसने आधा किलो चीनी लाई।
- तीन लीटर तेल का डिब्बा भरा है।
- अनाज का एक क्विंटल बेच दिया।
अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण के वाक्यों में प्रयोग:
- मुझे थोड़ा पानी चाहिए।
- उसने बहुत सारा खाना खा लिया।
- इस बार फसल में कम अनाज हुआ।
- घर में पर्याप्त चावल हैं।
- बच्चे ने ज्यादा दूध पी लिया।
- मेरे पास बहुत काम है।
- उसे थोड़ी सी जगह चाहिए।
सार्वनामिक विशेषण (Pronominal Adjective)
जब सर्वनाम के शब्द संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता बताने लगें, तो वे सार्वनामिक विशेषण बन जाते हैं।
ये दो प्रकार के होते हैं:
- मूल सार्वनामिक विशेषण : ये बिना किसी रूपांतर के सीधे विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
- यौगिक सार्वनामिक विशेषण : ये मूल सर्वनाम में प्रत्यय जुड़ने से बनते हैं।
मूल सार्वनामिक विशेषण के उदाहरण:
- यह किताब मेरी है।
- वह लड़का पढ़ाकू है।
- कौनसा रास्ता सही है?
- यह पुस्तक रोचक है।
- वह लड़की पढ़ रही है।
- कौनसा विद्यार्थी आया था?
- ऐसा काम मत करो।
- उस व्यक्ति ने मदद की।
- यह फूल सुंदर है।
- कोई व्यक्ति दरवाज़े पर खड़ा है।
- वे लोग हँस रहे हैं।
कुछ लोग अनुपस्थित हैं।
यौगिक सार्वनामिक विशेषण:
- यह से → इतना, इतनी, ऐसा, ऐसे
- वह से → उतना, उतनी, वैसा, वैसे
- जो से → जितना, जितनी, जैसा, जैसे
- कौन से → कितना, कितनी, कैसा, कैसे
यौगिक सार्वनामिक विशेषण के उदाहरण:
- इतना पानी पर्याप्त है।
- वैसा व्यवहार उचित नहीं।
- जितनी जल्दी हो सके आना।
- कैसा खाना बना है?
- ऐसा काम मत करो।
- कितनी किताबें खरीदनी हैं?
- इतना सामान उठाया नहीं जाता।
विशेषण की अवस्थाएँ: परिभाषा एवं प्रकार
विशेषण जब किसी संज्ञा या सर्वनाम के गुण-दोषों की तुलनात्मक मात्रा को दर्शाते हैं, तो उनकी तीन अवस्थाएँ मानी जाती हैं:
- मूलावस्था (Positive Degree)
- उत्तरावस्था (Comparative Degree)
- उत्तमावस्था (Superlative Degree)
मूलावस्था
इस अवस्था में विशेषण किसी वस्तु या व्यक्ति की सामान्य विशेषता बताता है, बिना किसी तुलना के।
उदाहरण:
- वह सुंदर लड़की है।
- यह बड़ा घर है।
- राजू मेहनती छात्र है।
- हिमालय ऊँचा पर्वत है।
उत्तरावस्था
इस अवस्था में दो व्यक्तियों या वस्तुओं के गुण-दोषों की तुलना की जाती है।
उदाहरण:
- सीता, गीता से अधिक बुद्धिमान है।
- यह किताब उस किताब से ज्यादा रोचक है।
- सोहन, मोहन से तेज़ दौड़ता है।
- चाँद सितारों से अधिक चमकीला है।
उत्तमावस्था
इस अवस्था में दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं में किसी एक को सबसे अधिक या सबसे कम गुण/दोष वाला बताया जाता है।
उदाहरण:
- एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत है।
- वह कक्षा का सबसे होशियार छात्र है।
- यह गाँव का सबसे सुंदर बगीचा है।
- राम सबसे कमज़ोर खिलाड़ी है।
निष्कर्ष
विशेषण (Visheshan) हिंदी व्याकरण का एक अहम अंग है जो वाक्य को और ज्यादा सुंदर, प्रभावशाली और अर्थपूर्ण बनाता है। इसके भेद जैसे – गुणवाचक, संख्यावाचक, परिमाणवाचक, निश्चयवाचक और अनिश्चितवाचक – हमें भाषा को समझने और सही उपयोग करने में मदद करते हैं।
FAQs
- सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में क्या अंतर है?
सर्वनाम: यह संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण: वह आ गया। (यहाँ “वह” संज्ञा की जगह आया है।)
सार्वनामिक विशेषण: यह संज्ञा के पहले लगकर उसकी ओर संकेत करता है।
उदाहरण: वह लड़का आ गया। (यहाँ “वह” संज्ञा “लड़का” को विशेष रूप से दिखा रहा है।) - विशेषण किसे कहते हैं?
विशेषण वे शब्द होते हैं जो संज्ञा (नाम) या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। ये गुण, दोष, रंग, आकार, संख्या, परिमाण आदि को दर्शाते हैं।
उदाहरण: सुंदर, बुद्धिमान, काला, गोल, दो, किलोग्राम। - विशेषण के कितने प्रकार होते हैं?
विशेषण के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं:गुणवाचक विशेषण (गुण/दोष बताने वाले)
संख्यावाचक विशेषण (संख्या बताने वाले)
परिमाणवाचक विशेषण (मात्रा बताने वाले)
सार्वनामिक विशेषण (संकेत देने वाले)
- विशेषण की कितनी अवस्थाएँ होती हैं?
विशेषण की तीन अवस्थाएँ होती हैं:मूलावस्था (बिना तुलना के, जैसे: सुंदर)
उत्तरावस्था (दो के बीच तुलना, जैसे: अधिक सुंदर)
उत्तमावस्था (सबसे अधिक, जैसे: सबसे सुंदर)
- परिमाणवाचक और संख्यावाचक विशेषण में क्या अंतर है?
परिमाणवाचक विशेषण वस्तुओं की मात्रा (नाप-तौल) बताता है।
जैसे: उसने पूरा दूध पी लिया। – यहाँ “पूरा” दूध की मात्रा बता रहा है।
संख्यावाचक विशेषण वस्तुओं की गिनती बताता है।
जैसे: “मेरी जेब में दो पेन हैं।” – यहाँ “दो” पेन की संख्या बता रहा है।